Lata Mangeshkar Passes Away: कहीं नाम ना खराब हो जाए, जब इस वजह से लता मंगेशकर का बदलना पड़ा था अपना नाम Feb 6th 2022, 07:38 स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं हैं। रविवार 6 फरवरी को उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली ()। वे 92 वर्ष की थीं। उनकी मौत से संगीत जगत स्तब्ध है। इस मौके पर हम उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प पहलुओं को याद कर रहे हैं। ऐसा ही किस्सा है जब उन्हें एक फिल्में बतौर संगीत निर्देशक काम तो किया। लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी पहचान छिपानी पड़ी थी। 'लता, तुम्हारा नाम खराब हो जाएगा'नाम बदलने का किस्से का जिक्र लता मंगेशकर पर किताब लिखने वाले यतींद्र मिश्रा ने लता सुर गाथा में किया है। वे किताब के चैप्टर आज फिर जीने की तमन्ना है में लिखते हैं- एक समय लता मंगेशकर ने 'आनन्दघन' के उपनाम से मराठी फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन भी किया है। यह शायद साठ के दशक के अन्त की बात है, जब मराठी फिल्मों के बड़े निर्माता-निर्देशक भालजी पेंढारकर शिवाजी महाराज की ऐतिहासिक कथा पर 'मोहित्यांची मंजुला' नाम की फिल्म बना रहे थे। उन्होंने अपनी पसंद के संगीत निर्देशकों से संपर्क किया। लेकिन उस समय किसी के पास समय नहीं था। भालजी पेंढारकर को जल्दी थी और वे इस फिल्म का प्रोडक्शन संगीत निर्देशकों के खाली होने तक रोक नहीं सकते थे। ऐसे में उनकी पारिवारिक मित्र और बेटी सरीखी लता मंगेशकर ने यह सुझाव दिया कि अगर भालजी बाबा चाहें, तो वे संगीत बनाने में सहयोग कर सकती हैं। निर्देशक ने इसलिए मना कर दिया क्योंकि तब तक लता का बड़ा नाम हो चुका था। उन्हें डर था कि कहीं फिल्म के संगीत ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, तो लता मंगेशकर का नाम खराब होगा। एक बार फिर से लता मंगेशकर ने उन्हें सुझाव दिया कि यदि भालजी बाबा चाहें, तो वे छद्म नाम से संगीत दे सकती हैं। यह बात उनको कुछ जम सी गयी। इस तरह एक नाम तय हुआ 'जटाशंकर'। लता जी बताती हैं कि उन्हें यह नाम पसंद नहीं आया था और मराठी के ही एक संत कवि रामदास स्वामी की कविता से निकालकर एक शब्द चुना गया 'आनन्दघन'। इसका अर्थ उनको भा गया था- 'आनन्द के बादल'। इस तरह लता मंगेशकर ने अपने निर्देशक को यह बताया था कि वे 'आनन्दघन' के नाम से संगीत देंगी, जिसके लिए उनको सहर्ष अनुमति भी मिल गई थी। |