अपने आप में पूरा हिंदुस्तान हैं Shahrukh Khan, उन्हें मुसलमान या हिंदू कहने से पहले ये 8 तस्वीरें देख लीजिए Feb 8th 2022, 08:25 लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) इस दुनिया को छोड़कर... हम सबको छोड़कर... और अपने पीछे एक लंबा इतिहास छोड़कर, हर देशवासी के दिल में एक शून्य.. एक खालीपन को छोड़ गईं। ये खामोशी का ऐसा कुआं है, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता। उनके निधन की खबर सुनकर सभी का दिल थम गया तो आखिरी विदाई देते सभी सभी का दिल भारी हो गया। उनके दर्शन करने () भी शिवाजी पार्क पहुंचे। सभी ने हाथ जोड़कर उन्हें विदा किया तो SRK ने दोनों हाथों को फैलाकर दुआ मांगी। मकसद सबका एक था कि लता जी को जन्नत नसीब हो, लेकिन तरीका अलग था। इसी अलग तरीके ने पूरे देश में तहलका मचा दिया। किसी ने इसकी तारीफ की तो किसी ने गलत मतलब निकाल लिया। किसी ने ये कहा कि शाहरुख ने लता जी के पार्थिव शरीर पर 'थूका', लेकिन उनके फैंस ने बचाव में कहा कि वो 'थूक' नहीं, 'फूंक' थी। जब मुस्लिम धर्म में दुआ पढ़ते हैं तो बाद में फूंकते हैं, ताकि बुरी शक्तियां दूर रहें। शाहरुख ने एक बार फिर साबित कर दिया कि 'हम सब एक हैं'। वो हमेशा से ऐसा ही करते आए हैं। करते नहीं, मानते आए हैं। वो धर्मों से ज्यादा इंसानियत पर यकीन करते हैं। वो सभी मजहबों को एक समान मानते हैं। चाहे ईद हो या दिवाली, वो गुरुद्वारे पर मत्था भी टेकते हैं और गणेश चतुर्थी पर अपने 'मन्नत' में मूर्ति भी स्थापित करते हैं। सोशल मीडिया पर बेहूदगी से मन भर गया हो तो कभी शाहरुख की जिंदगी में झांकने की कोशिश कीजिएगा। अपने बेगारेपन से फुर्सत मिले तो शाहरुख को समझने की कोशिश कीजिएगा। वैसे तो छोटी मानसिकता वाले ऐसे ट्रोल्स के लिए ये सोचना, ये समझना मुश्किल है, लेकिन एक बात जो हम सबको पता है कि शाहरुख खान अपने आप में पूरा 'हिंदुस्तान' हैं। शाहरुख खान के घर में... उनके अंदर मुसलमान या हिंदू नहीं हैं। उन्होंने एक हिंदू लड़की से शादी की, लेकिन कभी उसका धर्म परिवर्तन नहीं किया। शाहरुख-गौरी के दो बच्चे हुए। आर्यन खान और सुहाना खान, लेकिन इस कपल ने अपने बच्चों को मजहब नहीं, इंसानियत से प्यार करना सिखाया। उनके 'मन्नत' में ईद की नमाज भी पढ़ी जाती है तो होली पर सभी रंगों में सराबोर भी नजर आते हैं। शाहरुख के सबसे छोटे बेटे अबराम का नाम तो अपने आप में ही 'एकता' को बयां करता है। अबराम हजरत इब्राहिम का यहूदी नाम है। इसमें हिंदू देवता राम का भी नाम शामिल है। ये दर्शाता है कि शाहरुख ने अपने बच्चों को भी धर्म में नहीं, इंसानियत में यकीन करना सिखाया है। अगर आप शाहरुख खान के सोशल मीडिया प्रोफाइल पर जाएंगे तो पाएंगे कि ऐसा कोई त्योहार या पर्व नहीं है, जो वो सेलिब्रेट नहीं करते। उनका पूरा परिवार मिलकर दिवाली पर पूजा करता है। ईद की नमाज पढ़ता है। दुआ भी मांगता है। प्रार्थना भी करता है। अल्लाह के आगे सिर झुकाता है तो भगवान के सामने हाथ जोड़कर आशीर्वाद भी लेता है। SRK में तो देशभक्ति भी कूट-कूटकर भरी है। देश की आजादी या रिपब्लिक डे वो उसी तरह सेलिब्रेट करते हैं, जैसे हर देशवासी करता है। भारत का क्रिकेट मैच होने पर वो उसी तरह ऐक्साइडेट होते हैं, जैसे हर देशवासी होता है। जब कोई ऐसा मौका आता है, जो भारत के लिए गर्व का मौका होता है तो शाहरुख भी उतने ही खुश होते हैं, जितना हर देशवासी होता है। जब देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा था, तब बाकी के सिलेब्स की तरह शाहरुख खान भी मदद को आगे आए थे। उन्होंने लोगों की मदद के लिए करोड़ों रुपये दान किए। कोविड मरीजों का इलाज करने के लिए संसाधन मुहैया कराया। यहां तक कि कोविड सेंटर बनाने के लिए अपने ऑफिस की बिल्डिंग भी दे दी। सोशल मीडिया के जरिए फैंस से जुड़े रहे। जब लोगों के मन में डर था, लोग सहमे हुए थे तो वीडियो शेयर करके उनका हौसला भी बढ़ाया। शाहरुख जो काम करते हैं, उसमें भी वो हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश देना नहीं भूलते। उनकी कई फिल्में हैं, जो इसकी गवाह हैं। उनकी 'चक दे इंडिया' देखकर ऐसा कोई भारतीय नहीं है, जिसके दिल में देशभक्ति की भावना नहीं उमड़ती। तो 'वीर जारा' में सरहद पार की दूरियों को भी उन्होंने कम कर दिया। अब अगर कोई शख्स अपने देश के लिए इतना कुछ कर रहा है, तो क्या इसके बाद भी उसे अपने 'हिंदुस्तानी' होने का कोई सबूत देना पड़ेगा! क्या हर बार उन्हें ऐसे सवालों से गुजरना पड़ेगा कि आप किस धर्म को ज्यादा मानते हैं! क्या उन्हें हर बार हिंदू और मुसलमान के तराजू पर तौला जाएगा! ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब शाहरुख पर इस तरीके के सवाल उठाए गए हैं, पहले भी वो ऐसे सवालों से दो-चार हुए होंगे, लेकिन उन्होंने कभी खुद को नहीं बदला, पहले भी उनके अंदर 'हिंदुस्तान' दिखता था, आज भी उनके अंदर फैंस 'हिंदुस्तान' ही देखते हैं। |