लता मंगेशकर ने क्‍यों कहा था- गणतंत्र दिवस पर 'ऐ मेरे वतन के लोगो' नहीं गाना चाहिए

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लता मंगेशकर ने क्‍यों कहा था- गणतंत्र दिवस पर 'ऐ मेरे वतन के लोगो' नहीं गाना चाहिए
Feb 7th 2022, 08:02

दिवंगत () ने अपनी सुरीली आवाज से हिंदुस्‍तान की कई पीढ़ियों पर जादू चलाया है। इसमें कोई शक नहीं है कि आने वाली पीढ़ियां भी उनकी सुर की मिठास से हैरान रहेंगी। बात प्‍यार की हो या दर्द की, लता की आवाज जीवन के हर भाव को सहलाती हैं। लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर संगीतकार थे। लिहाजा, बेटी का संगीतमय सफर भी 5 साल की उम्र से ही शुरू हो गया था। लता मंगेशकर के ऊपर कच्‍ची उम्र में भी परिवार की जिम्‍मेदारियां आ गईं। अप्रैल, 1942 में पिता के निधन के बाद लता मंगेशकर परिवार के लिए और सभी के लिए लता दीदी बन गईं। उसी साल अक्टूबर से उन्‍होंने काम करना भी शुरू कर दिया। लता मंगेशकर ने अपने कर‍ियर में अलग-अलग भाषाओं में 50 हजार से अध‍िक गाने गाए। 'ऐ मेरे वतन के लोगो...' () लता के करियर का यह ऐसा गीत है, जिसे सुनकर तब तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी रो पड़े थे। आज भी जब ये गाना बजता है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हाल ही 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में '' को खासतौर पर बजाया गया। लेकिन लता मंगेशकर का मानना था कि यह गाना रिपब्‍ल‍िक डे पर नहीं बजाना चाहिए। उन्‍होंने कहा था, 'रिपब्लिक डे तो खुशी का दिन होता है। इसके लिए वंदे मातरम जैसा गीत ज्यादा ठीक होगा। हालांकि मैंने जो भी शो किए, उनमें इस गीत की फरमाइश सबसे ज्यादा आती रही।' लता मंगेशकर ने 13 साल की उम्र में बतौर ऐक्टर करियर की शुरुआत की। 6 फिल्‍मों में ऐक्‍ट्रेस के तौर पर काम भी किया। साल 1942 में शाहू मोदक के साथ उनकी पहली फिल्म आई 'पहिली मंगलागौर'। इसके बाद 1943 में 'चिमुकला संसार' और 1944 में 'माझे बाल' रिलीज हुई। लता ने 'नवभारत टाइम्‍स' को रिए अपने आख‍िरी इंटरव्‍यू में बताया था, 'तब मैं 13-14 साल की थी। मुझे हीरो या हीरोइन की बहन के रोल मिलते थे। लेकिन ऐक्टिंग मुझे पसंद नहीं थी। मेक-अप करना और दूसरों के कहने पर हंसना और रोना... मुझे इसमें मजा नहीं आता था। मुझे तो गाना गाने में ही खुशी मिलती थी।' 1969 में इसलिए अवॉर्ड लेने से कर दिया था इनकारलता मंगेशकर को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया। फिल्‍मफेयर से लेकर तमाम बड़े अवॉर्ड्स उन्‍होंने जीते। लेकिन 1969 में एक मौका ऐसा भी आया, जब उन्होंने पुरस्कार लेने से मना कर दिया और कहा कि उनके बजाय इन पुरस्कारों से दूसरों का उत्साह बढ़ाया जाए। लता मंगेशकर ने बीते कुछ साल से फिल्‍मों के लिए गाना छोड़ दिया। उनका कहना था, 'आजकल के गीत ऐसे हैं कि अगर कोई मुझसे कोई गाने के लिए कहे भी तो मैं विनम्रतापूर्वक मना कर देती हूं। गीतों के बोल ऐसे हैं कि क्या कहा जाए उनके बारे में। डांस नंबर भी बस धड़ाम धड़ाम जैसे हैं। इसके लिए मैं किसी को दोष नहीं दे रही। समय ही ऐसा हो गया है।' अंतिम दिनों में धार्मिक गीतों से बढ़ा लगावसाल 2004 में लता मंगेशकर ने फिल्‍म 'वीर-जारा' के लिए गीत गाए थे। यह उनका आख‍िरी फिल्‍मी एलबम था। मदन मोहन के संगीत पर लता मंगेशकर की आवाज की खनक दिल छू गई। उनका कहना था, 'सुरीले गीत भी हैं। जैसे बॉर्डर फिल्म का संदेशे आते हैं। और मैं हूं ना... शाहरुख खान ने इस टाइटल सॉन्ग पर बहुत खूबसूरती से परफॉर्म किया। ऐसे संगीत से मेरा विश्वास बना रहता है।' अपनी म्‍यूजिकल जर्नी के आख‍िर में लता मंगेशकर धर्म और अध्यात्म की ओर मुड़ गई थीं। उनका कहना था, 'पिछले कुछ साल में मैंने महादेव और कृष्ण के भक्ति गीत गाए हैं। हनुमान चालीसा गाया। और गजलें भी। आजकल स्त्रोत गाने से ज्यादा आनंद मुझे किसी चीज में नहीं आता।' इसी तरह साल 2018 में उन्‍होंने मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी के लिए गायत्री मंत्र और गणेश स्‍तुति भी रिकॉर्ड किया। सिंगिंग रियलिटी शोज पर जताई थी चिंताआज जहां हर सिंगर और म्‍यूजिश‍ियन सिंगिंग रियलिटी शोज में बढ़-चढ़कर हिस्‍सा ले रहा है। लता मंगेशकर उससे भी दूर रहीं। वह कहती थीं, 'किसी को नहीं पता कि शुद्ध गायन क्या होता है। बच्चे इन शोज में हिस्सा लेते हैं और विजेता बन जाते हैं। लेकिन आखिर में वे पहुंचते कहां हैं? छोटी सी बच्ची से लीड हीरोइन के लिए गाना कौन गवाएगा? सात-आठ साल के बच्चे को हीरो के लिए गाने का मौका नहीं मिलेगा। ये शो तो केवल एंटरटेनमेंट के लिए होते हैं।' जया बच्‍चन से था लता जी को खास लगावलता मंगेशकर का जया बच्चन से खास लगाव था। फिल्म 'अभिमान' में डायरेक्‍टर हृष‍िकेश मुखर्जी ने तो जया बच्‍चन से बकायदा यह कहा था कि वो लता जी की शैली को करीब से समझें और बारीकियों को अपनी ऐक्‍ट‍िंग में शामिल करें। इस बारे में भी लता मंगेशकर ने इंटरव्‍यू ने बात की। उन्‍होंने कहा, 'जब मैं पिया बिना की रिकॉर्डिंग कर रही थी, तो जया आई और मेरे सामने बैठ गई। इससे मैं थोड़ा कॉन्शस हो गई। लेकिन जब मैंने फिल्म देखी तो पाया कि जया ने मेरी हूबहू नकल की थी। जिस तरह मैं अपनी साड़ी का पल्लू कंधों के ऊपर खींचती हूं, वह स्क्रीन पर बिल्कुल असल जैसा दिखा। मेरा मैनरिज्म उसने परदे पर उतार दिया।' वहीदा रहमान की लिप सिंकिंग से थी प्रभावितलता मंगेशकर पर्दे पर वहीदा रहमान की लिप सिंकिंग से बहुत प्रभावित रहती थीं। उनका कहना था, 'गाइड में मैंने वहीदा रहमान के लिए गीत गाए। मैंने जब उन्हें स्क्रीन पर देखा तो ऐसा लगा कि खुद वही गा रही हैं। उनका अभिनय बहुत खूबसूरत था, बिल्कुल असल। कहीं भी एक बार के लिए भी गलती नहीं हुई।' कुछ ऐसा ही उन्‍होंने डिंपल कपाड़िया के लिए भी कहा। लता जी के मुताबिक, 'फिल्‍म लेकिन में शास्त्रीय गाने थे। डिंपल ने भले ही क्लासिकल म्यूजिक नहीं सीखा हो, लेकिन उनके होंठ बिल्कुल सही ढंग से हिल रहे थे।' मराठी बोलना, हिंदी में गाना, ऐसे सीखी थी हर बारीकीइंटरव्‍यू में जब लता मंगेशकर से संगीत सीखने को लेकर बात हुई तो उन्‍होंने कहा, 'मैं तो मराठी बोलने वाली बच्ची थी। हिंदी मुझे कुछ खास आती नहीं थी। लेकिन नौशाद साहब, अनिल बिस्वास, मास्टर गुलाम हैदर और खेमचंद प्रकाशजी जैसे म्यूजिक डायरेक्टरों ने मुझे यह सब सिखाया। शंकर-जयकिशन जैसे लोगों ने दिल लगाकर संगीत तैयार किया। एस डी बर्मन बहुत प्यार से समझाते थे। मेरे लिए वह पिता समान थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि गाने से पहले गीत का मतलब समझना जरूरी होता है। नौशाद साहब कहते थे कि गाने से पहले गीत पढ़कर सुनाओ। वह देखते थे कि मेरा उच्चारण सही है या नहीं। मैं गीत लिख लेती थी और बार-बार पढ़ती थी। तब तक पढ़ती, जब तक वह ओके नहीं कर देते थे। अनिल बिस्वास ने मुझे सिखाया कि बिना किसी शोर के सांस कैसे छोड़ते हैं। इस तरह की जरा सी भी आवाज माइक में आ जाती है। काफी कुछ इस पर डिपेंड करता है कि आप माइक के सामने कैसे खड़े होते हैं।' 1963 गणतंत्र दिवस परेड और 'ऐ मेरे वतन के लोगो'साल 1963 में गणतंत्र दिवस परेड का वह मौका लता मंगेशकर के करियर का सबसे यादगार लम्‍हा था। तब उन्‍होंने मंच से गणतंत्र दिवस पर 'ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी' गाया था। गीत सुनकर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू रो पड़े थे। 1962 के भारत-चीन युद्ध के शहीदों की याद में वह गीत लिखा था कवि प्रदीप ने और उसे संगीत दिया था सी रामचंद्र ने। लता दीदी ने बताया, 'माहौल में काफी टेंशन थी। यह गीत सुनकर पंडितजी की आंखों में आंसू आ गए। मैंने सोचा ही नहीं था कि यह गीत इतना लोकप्रिय हो जाएगा। इसका श्रेय जाता है कवि प्रदीप जी को। अब मेरा मानना है कि यह गीत गणतंत्र दिवस पर प्ले नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि रिपब्लिक डे तो खुशी का दिन होता है। इसके लिए वंदे मातरम जैसा गीत ज्यादा ठीक होगा। हालांकि मैंने जो भी शो किए, उनमें इस गीत की फरमाइश सबसे ज्यादा आती रही।' खूब खाती थीं आइसक्रीम, चॉकलेट, अचारलता मंगेशकर को चॉकलेट्स बहुत पसंद थे। वह खाने-पीने की बहुत शौकीन थीं। वह हर रिकॉर्डिंग से पहले भी आइसक्रीम खा लेती थीं। हीरों, साड़ियों का शौक रखने वाली लता मंगेशकर कहती थीं, 'मैं तो रिकॉर्डिंग के पहले भी आइसक्रीम खा लेती थी। अचार, मसालेदार खाना, हरी मिर्च...किसी का मुझ पर असर नहीं पड़ा।' उन्‍हें घूमने-फिरने का शौक था। वह कहती थीं, 'नए सिंगर्स को यह नहीं मानना चाहिए कि बस माइक पकड़ लेने से वे जादू कर देंगे। शास्त्रीय संगीत की जानकारी जरूरी है, चाहे इंडियन हो या वेस्टर्न। इसके बिना सब बेकार है।'

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