रिव्‍यू: रॉकेट बॉयज, सीजन-1

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रिव्‍यू: रॉकेट बॉयज, सीजन-1
Feb 4th 2022, 10:23

कहानी 'रॉकेट बॉयज' देश के दो दिग्‍गज फिजिसिस्‍ट यानी भौतिक विज्ञानी डॉ. होमी जहांगीर भाभा () और डॉ. विक्रम अम्‍बालाल साराभाई (इश्‍वाक सिंह) की कहानी है। यह सीरीज दोनों के अभूतपूर्व काम, उनकी सफलता की यात्रा को पर्दे पर दिखाती है। डॉ. भाभा और डॉ. साराभाई ने देश के भविष्‍य के निर्माण में बड़ा योगदान दिया है। यह सीरीज हिंदुस्‍तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा और अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के स्‍ट्रगल को भी दिखाती है। रिव्‍यू 'रॉकेट बॉयज' उन दो लड़कों की कहानी है, जिन्‍होंने देश की तकदीर बदल दी। इनमें से एक हैं डॉ. होमी जहांगीर भाभा, जिन्‍होंने परमाणु कार्यक्रम में देश को अग्रणी बनाया। वह कैम्‍ब्र‍ि‍ज में रिर्सर्चर थे। बाद में सीवी रमन के इंडियन इं‍स्‍ट‍िट्यूट ऑफ साइंस जॉइन किया और देश में ही रहने का फैसला किया। वह इसके बाद टाटा इंस्‍ट‍िट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में फिजिक्‍स के प्रोफेसर बने और फिर मुंबई में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) की शुरुआत की। दूसरे महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम अम्‍बालाल साराभाई ने अंतरिक्ष विज्ञान में देश को पुरोधा बनाया। फिजिक्‍स और ऐस्‍ट्रोनॉमी में उनकी महारत थी। डॉ. साराभाई ने अहमदाबाद में फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री और इंडियन इंस्‍ट‍िट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की स्‍थापना में भी बड़ा योगदान दिया। 'रॉकेट बॉयज' एक बायोग्राफी पर आधारित फिक्‍शन ड्रामा है। इसे निखिल आडवाणी, रॉय कपूर फिल्म्स और एम्मे एंटरटेनमेंट ने बनाया है। यह सीरीज आपको शुरुआत से ही लुभाती है। यह बीते कल की कई महत्‍वपूर्ण घटनाओं को बेहतरीन तरीके न‍ सिर्फ दिखाती है, बल्‍क‍ि आपको उनमें खो जाने का मौका देती है। दोनों वैज्ञानिकों की असल जिंदगी की घटनाओं और नए भारत को टेक्‍नोलॉजी के सफर पर ले जाने के उनके प्रयासों को बखूबी दिखाया गया है और इसके लिए अभय कोराने के कॉन्‍सेप्‍ट की तारीफ करनी होगी। सीरीज के राइटर-डायरेक्‍टर अभय पन्‍नू ने इससे पहले 'मुंबई डायरीज' और 'ये मेरी फैमिली' जैसे शोज के लिए असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर की भूमिका निभाई है। दो महान वैज्ञानिकों के दोस्‍त बनने और देश के परमाणुक कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उनकी एकजुटता को दिखाने में वह सफल हुए हैं। सीरीज न सिर्फ आपसे एक कहानी कहती है, बल्‍क‍ि आपको प्ररित भी करती है। डॉ. भाभा और डॉ. साराभाई की शुरुआती जिंदगी, उनके संघर्ष, कॉलेज की कहानी, उनके आइडियाज और एक्‍सपेरिमेंट्स, इस सीरीज में सबकुछ को बारीकी से दिखाया गया है। आठ एपिसोड्स की यह सीरीज अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती है। इस कहानी में आगे आप एक एपीजे अब्‍दुल कलाम से भी रूबरू होते हैं। इसमें उनके युवा दिनों को दिखाया गया है। किरदार निभाया है कि अर्जुन राधाकृष्‍णन ने। वह साराभाई के साथ रॉकेट लॉन्‍च के लिए काम कर रहे हें। सीरीज में पंडित जवाहर लाल नेहरू का किरदार रजित कपूर ने निभाया है। स्‍क्रीनप्‍ले में 1940 से 1960 के बीच हुई ऐतिहासिक घटनाओं की क्‍ल‍िपिंग्‍स को भी शामिल किया गया है। ये सब मूल कहानी के साथ चलती रहती हैं। यहां दो लोगों का नाम खास तौर पर लिया जाना जरूरी है। डायरेक्‍टर ऑफ फोटोग्राफी हर्षवीर ओबेराई, जिन्होंने स्वतंत्रता से पहले और बाद के समय को कैमरे पर जिंदा किया है और दूसरे हैं सीरीज के एडिटर माहिर जावेरी, जिन्‍होंने बड़ी ही सावधानी से समय का खयाल रखते हुए सीरीज एक अलग-अलग नैरिटव, टाइम लाइमलाइन और कहानी को बड़े ही सहज तरीके से एक सुर में पिरोया है। इसके अलावा उमा बीजू और बीजू एंटनी ने जिस तरह पुराने जमाने के कपड़ों को बनाने में मेहनत की वह भी काबिल-ए-तारीफ है। जिम सरभ एक विलक्षण वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा के रोल में पूरी त‍रह फिट बैठते हैं। उनका फोकस पूरी तरह से परमाणु रिएक्टर बनाने पर है। चाल-ढाल से लेकर बोलने का अंदाज, कपड़े पहनने का सलीका, हर फ्रेम में जिम सरभ ने खुद को एक गुजराती संपन्‍न परिवार के वैज्ञानिक रूप में जीने का काम किया है। इश्‍वाक सिंह ने भी डॉ. साराभाई के किरदार को बखूबी निभाया है। डॉ. भाभा से उलट डॉ. साराभाई हमेशा सादा कुर्ता-पायजामा पहनते थे। दोनों भारत में अपने-अपने क्षेत्रों में अग्रणी हैं और दोनों बेहतरीन दोस्‍त रहे हैं। सीरीज में हर एपिसोड लगभग एक घंटे का है। हर एपिसोड के साथ कहानी रफ्तार पकड़ती है। बतौर दर्शक आप एक बार बंधते हैं और इसे देखते चले जाते हैं। जिनका साइंस से लगाव है, उन्‍हें यकीनन यह सीरीज कुछ और ज्‍यादा पसंद आएगी। 'रॉकेट बॉयज' सिर्फ एक सीरीज नहीं है। यह भारत के वैज्ञानिक दिग्गजों, उनके संघर्ष और उनकी कड़ी मेहनत को एक श्रद्धांजलि है।

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